SONASI WITH SEX
मैं सागर मै रहता हू .बात तब की है जब मै चाची के घर गया हुआ था चाचा बाहर ऑफिस के काम से दमोह गए थे ,चाची का नाम सोनाशी था.
और नाम की तरह वो भी बहुत सुंदर थी, गोरी ,मस्त चूची, पतली कमर जिसे देखते ही मन करता था कि अभी चोद दो। रात को खाना खाकर हम टीवी देख रहे थे किसिंग सीन चल रहा था सोनाशी मुझे बोली कभी किसी लड़की को इस तरह किस किया है में बोला किस क्या सबकुछ किया है इतना सुनते ही सोनाशी मुस्कराते हुए बोली में सोने जा रही हू।फिल्म देखने बाद ऊपर सोने आ जाना .. अपनी लाइन मुझे क्लियर देख दिल बल्ले बल्ले करने लगा ...थोड़ी देर बाद ऊपर कमरे में जाकर देखा तो सोनाशी बैड के बाएँ ओर लेटी हुई है और उसके सेक्सी मेक्सी के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे, मेक्सी में उनके गोरे चूची के बीच की गहरी घाटी साफ दिखाई दे रही थी !
सोनाशी को इस अवस्था में लेटे देख कर मेरे लंड में भूचाल आ गया . मैं बैड के दाएँ ओर जा कर लेट गया। मेरे लेटते ही सोनाशी मेरी ओर करवट कर ली और मुझे अपने नज़दीक खींच लिया,और धीरे से सोनाशी ने एक टांग ऊंची करके लपेट ली जिससे उसका मेक्सी सरक गयी ' और उसकी गोरे चिकनी जांघें दिखने लगी।
यह देख कर मे उन सुडोल जांघो पर हाथ फेरने लगा फिर सोनाशी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर एक लंबा सा चुम्बन किया ! कुछ क्षणों के बाद मैं सोनाशी को समझ गया था और मे उसके साथ यौन सम्बन्ध करने की इच्छा को जल्द ही पूरा होने की आशा से मैं उनका साथ देने लगा,
सोनाशी ने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने मेक्सी के अंदर अपने एक स्तन पर रख दिया और धीरे से उसे दबाने के लिए कहा।
जब स्तन को दबाया तो वह ऊई ईई... करती हुई कामातुर होने लगी .मैंने अपना दूसरा हाथ भी मेक्सी के अंदर डालने की इच्छा ज़ाहिर की तो सोनाशी ने मेक्सी ही उतार दी और मैंने सोनाशी के दोनों स्तनों को पकड़ लिया और होल़े होल़े से दबाने लगा, तब आनन्दित स्वर में आह्ह... आह्ह... करने लगी।
सोनाशी के गोल, सख्त और ठोस स्तन, उनका सपाट पेट, उनकी गोरी पतली कमर तथा नाभि, उनकी योनिस्थल बहुत ही मनमोहक लग रहे थे ! उसकी दोनों जाँघों के बीच में अपने होंठ खोले हुई गुलाबी चूत मुझे उसमे अपने लौड़े को गुम करने का खुला निमंत्रण दे रही थी !
मैं सोनाशी के स्तन मसलते हुए जब उसके होंठों के चूसने लगा तो उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मुझे चूसने दी। मुझे सोनाशी का ऐसा करना बहुत ही अच्छा लगा और मैंने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी, जिसे उसने झट से ग्रहण की और कस के चूसने लगी !
लगभग दस मिनट के बाद जब हम दोनों अलग हुए तब सोनाशीने उठ कर अपना गाउन उतार दिया और मेरे भी सारे कपड़े उतारने में मेरी सहायता की तथा हम दोनों बिल्कुल नग्न हो कर एक दूसरे से लिपट कर लेट गए। फिर सोनाशी ने मेरे सिर को पकड़ कर अपने स्तनों पर झुका दिया और एक चूचुक को मेरे मुँह में घुसा कर मुझे चूसने को कहा। मैंने सोनाशी के कहे अनुसार उसकी दोनों चूचुकों को बारी बारी चूसने लगा तब सोनाशी के मुख से बहुत ही आनन्दित स्वर में आह... आह्ह... की आवाजें निकालने लगी तथा वह मेरे सिर और माथे को बार बार चूमने लगी।
कुछ देर के बाद जब सोनाशी को अपनी जाँघों पर मेरे खड़े हुए सख्त लौड़े की चुभन का बोध हुआ तो उसने अपना दायाँ हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ लिया और आहिस्ते आहिस्ते मसलने लगी। मैं भी अपने दाहिने हाथ से सोनाशी की जाँघों के बीच के बालों को सहलाने लगा तो सोनाशी ने दोनों टाँगें चौड़ी कर मेरे हाथ को अपनी चूत के होंठों पर व उनके अंदर फेरने की सहमति दे दी।
मैं सोनाशी के स्तनों को चूसने और चूत को सहलाने में व्यस्त था, जब सोनाशी को उसके हाथ में मेरे लौड़े के छिद्र पर पूर्व-रस का कुछ गीलापन महसूस हुआ तो उसने मुझे अलग किया तथा उठ कर बैठ गई और तब मैंने सोनाशी को पकड़ कर सीधा लिटाया और पलटी हो कर अपना लौड़ा उसके मुख में दे दिया और उसकी चूत पर अपना मुख रख दिया और वह बड़े जोश से मेरे लौड़े को चूसने लगी। मैं भी उसकी चूत के होंटों को खोल कर अपनी जीभ को उसके अंदर बाहर करने लगा और मैं उसके भग-शिश्न को सहलाता तो वह लौड़ा मुँह में होने के कारण दबे स्वर में ऊंहूंहूंहूं... ऊंहूंहूंहूं... ऊंहूंहूंहूं... की आवाजें ही निकाल पाती !
लगभग दस मिनट उन्होंने मुझसे कहा कि अब उनसे और बरदाश्त नहीं हो रहा और उन्होंने मुझे उसके साथ सम्भोग करने को कहा।
मैं उसकी बात को मानते हुए उसके ऊपर से हट कर सीधा हुआ और सोनाशी ने अपनी टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर दी और अपने हाथों से अपनी चूत का मुँह खोल कर मुझे उसने लौड़ा डालने का न्योता दे दिया।
मैं सोनाशी की उस खुली हुई चूत को देख कर बहुत ही उत्तेजित हो गया और झट से लौड़े को उसके ऊपर रखा और धक्का दे दिया। धक्का ज़ोरदार था इसलिए शायद सोनाशी को बहुत दर्द हुआ था क्योंकि वह ऊई ईईई... ऊईई ई ईई... ऊई ईमाँ... ऊई ई ईई ईईमाँ... करती हुई उठी- क्या कर रहे हो? फाड़ दोगे क्या?
मैं वहीं का वहीं रुक गया, तब बाद में उसके कहने पर ही धीरे से फिर धक्का लगाया, लेकिन इस बार भी धक्का तीव्र ही था इसलिए मेरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला था। चाची तो बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी और अगले पांच मिनट मैं बिल्कुल चुपचाप सोनाशी के ऊपर लेटा रहा उनकी स्थिति सामान्य होने के बाद ही मैंने हिलना शुरू किया और अपने लौड़े को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। दस मिनट तक सौम्य धक्के देने पर मैंने देखा कि सोनाशी को आनन्द आ रहा था ! सोनाशी के आनन्द में वृद्धि के लिए मैंने तीव्र गति से धक्के लगाने शुरू कर दिए और उछल उछल कर मैथुन करने लगा !
सोनाशी का आनन्द इतना बढ़ गया कि वे बहुत ही जोर से चिल्लाने लगी- आह्ह... आह्हह... आह... और तेज, और तेज, जोर लगा के, उंह... आह... उनह्हह... आह्ह्ह...!
मैं सोनाशी की इन आवाजों से बहुत उत्तेजित हो गया और जोरदार धक्के मारने लगा।और अगले दस मिनट उन्हें उसी तरह चोदता रहा।दस मिनट की अवधि समाप्त होते ही सोनाशी ने एक जोर का उछाल लिया और पूरा बदन अकड़ा लिया !
मैं भी उस समय उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँच चुका था इसलिए मैंने भी आह... आह्ह... की आवाज़ निकालते हुए अपना डिस्चार्ज चाची की योनि में कर दिया। तब सोनाशी मुझे अपने से बुरी तरह चिपका कर चूमने लगी और फिर हम दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपट कर बिस्तर पर लेट कर मेरे लौड़े को कस कर पकड़ कर आँखे बंद कर लीं और सोने लगी !
मैं भी एक हाथ में उनके मम्मे और दूसरे हाथ को चूत के ऊपर रख कर सो गया !,
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