सूरज का सेक्स
मेरे घर मेरे भाई का दोस्त सूरज जो २१ साल का था और सीमेंट फेक्ट्री में नौकरी करता था. वो दिखने में सुंदर और गोरे रंग का
है. जब वो हमारे घर आता तो उसको देख कर मेरा मन मचल
उठता , वो भी जब मुझे देखता तो वो भी मेरी तरफ़ आकर्षित होने लगा था मैं रागनी पाण्डेय दिखने में खुबसूरत हूँ.मेरा बदन गोरा और चिकना है. मेरे शरीर सुडोल उभार और गहराइयाँ किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं.सूरज भी मेरी जवानी से बच नहीं पाया. वो मुझसे बातें करने के बहाने ख़ुद कमरे में आ जाता, मेरी इन सेक्सी हरकतों से उसका मन डोल गया. मम्मी पापा के ऑफिस चले जाने के बाद मैं घर में इठलाकर चलती कि मेरे चूतडों की लचक, और बदन की लचक नजर आती थी. मैं चाहती थी कि सूरज किसी तरह से मेरी और आकर्षित हो जाए और मैं उसके साथ अपने तन की प्यास बुझा लूँ. रोज की तरह सूरज ने मुझे अपने कमरे में बुलाया. और मुझसे बात करने लगा.मुझे ऐसा लगा वो सिर्फ़ मेरा साथ चाह रहा था. सो मैंने उसे आकर्षित करने के लिए मैं कभी हाथ ऊपर करके मस्त अंगडाई लेती, कभी अपने चुचियो को खुजाने लगती. मेरे चुचियो के बीच कि गहराई कुरते में से बाहर झांक रहे थे, उसकी निगाहें मेरे सीने पर ही गडी हुयी थी. मैंने एक बुक ले ली और उलटी हो कर लेट गयी ...और उसे खोल कर देखने लगी. अब मेरे स्तन मेरे कुरते में से साफ़ झूलते हुए दिखने लगे थे.सूरज धीरे से उठा और मेरे पास बिस्तर पर बैठ गया. मैंने अपनी टांगे और फैला ली और सूरज ने मेरे पूरे बदन को निहारा और फिर मेरी पीठ पर सवार हो गया. और उसने मुझे जकड लिया. मैं जानकर के हलके से बोली ये क्या कर रहो हो ...रागनी ...मुझसे रहा नहीं जाता है उसने मुझे सीधाकरके मेरे स्तनों को दबाने लगा मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था. और उसके होंट मेरे होटो को चूमने लगे .और उसने मेरे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया अब मैं और सूरज नंगे हो गए थे. उसने जैसे ही लंड का जोर लगाया और उसका लंड मेरी चूतडों की दरारों में घुस पड़ा. और दरारों से टकराते हुए मेरी गांड के छेद पर आ गया उसको रास्ता देते हुए मैंने अपनी टांगे थोडी फैला दी. तब उसका लंड की सुपारी मेरी गांड के छेद में अन्दर घुस पड़ी.और में आनंद से भर उठी.और होले होले उसके धक्के बढ़ने लगे. मैं बोलती रही "हाय रे ... मत करो ....लग रही है ....हट जाओ
आह ...आह ह ...मेरी रानी .क्या चिकनी है ...... आ अह...."उसके तेज होते धक्को से मुझे दिल में आनंद से भर उठा था. मैं खुश थी कि आज मेरी गांड को लंड मिल गया. अचानक उसने मुझे सीधा कर दिया ...और अपना लंड मुझे दिखाया .उसका मोटा लंड देख कर मेरी उसे चूमने की इच्छा होने लगी ..और लंड मेरी चूत में घुसा दिया मैं तो होश खोने लगी थी ..उसके धक्के बढते जा रहे थे मेरे चूत अब अपने आप उछल उछल कर चुदवा रहे थे मेरी सिस्कारिया मेरे मुंह से अपने आप ही निकलने लगी"मा आ ..मेरी ....हाय ..... माँ रीई ..... चुद गयी माँ ..मेरी ....हाय चूत फट गयी रे ..अचानक सूरज मेरे ऊपर लेट गया और लंड का जोर चूत की जड़ में गड़ाने लगा ... लंड के जोर से गड़ते ही मेरी चूत ने धीरे धीरे रस छोड़ दिया. मैं झड़ गयी उसने फिर लंड का जोर लिपटे लिपटे ही लगाया ...और उसकाभी काम रस निकल गया मैंने प्यार से जकड़कर उसे चिपटा लिया. मेरी इच्छा पूरी हो गयी थी. मैं उसे पागलो कि तरह चुमते जा रही थी फिर हम दोनों नंगे लिपटे ही सुखनिद्रा में चले गए
|
No comments:
Post a Comment